3 से 6 नवम्बर 2025 चुनाव: प्रवासी मतदाताओं की अनदेखी या लोकतंत्र का सबसे बड़ा सवाल

भोजपुर चुनाव 2025: लाखों प्रवासी मजदूर वोट नहीं दे पा रहे हैं। नेताओं और उम्मीदवारों से सवाल—क्या उनका वोट भी मायने रखता है?

भोजपुर चुनाव 2025: लाखों प्रवासी मजदूर वोट नहीं दे पा रहे हैं। नेताओं और उम्मीदवारों से सवाल—क्या उनका वोट भी मायने रखता है?


भोजपुरआगामी 3 से 6 नवम्बर 2025 को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे जिले में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। नेता रैलियों में भीड़ जुटा रहे हैं, जनसभाओं में वादों की बारिश हो रही है, लेकिन एक सवाल है जो हर जागरूक नागरिक के दिल में चुभ रहा हैक्या किसी ने उन लाखों प्रवासी मजदूरों, नौकरीपेशा युवाओं और उनके परिवारों के बारे में सोचा है जो अपने मताधिकार से वंचित रह जाते हैं?

एक आम आदमी का सवालक्या वोट सिर्फ उन्हीं का है जो घर पर मौजूद हैं?

भोजपुर जिले के हजारों परिवारों के सदस्य पंजाब, दिल्ली, मुंबई, गुजरात, बंगाल, चेन्नई और विदेशों तक में नौकरी करते हैं। वे अपने परिवार के खर्च, बच्चों की पढ़ाई और घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दूर-दूर रहते हैं।
पर जब चुनाव आता है, तो सबसे बड़ा सवाल बन जाता है
क्या वे अपना वोट डाल सकते हैं? क्या कोई नेता उनके सफर, बजट और नौकरी की मजबूरी को समझता है?

नेताओं से सीधा सवालक्या आपने कभी उनकी परेशानी समझने की कोशिश की?

अगर आप किसी दल या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं, तो क्या आपने कभी सोचा कि :-

  • जो लोग प्रवास में रहकर आपको वोट देना चाहते हैं, वे आर्थिक मजबूरी के कारण घर नहीं पाते।
  • ₹1500 से ₹5000 तक का किराया, छुट्टी का डर और नौकरी जाने का खतरा उनके वोट को रोक देता है।
  • क्या आप वाकई उनके नेता हैं, या सिर्फ उनके वोट के?

Newsvela.com की ओर से एक सुझाव है :-

👉 अगर आप सच्चे जनप्रतिनिधि बनना चाहते हैं, तो चुनाव प्रचार से पहले इन प्रवासी परिवारों के घर जाएं, उनकी तकलीफ सुनें और समाधान का मार्ग निकालें।
👉 सिर्फ वोट मांगना नहीं, बल्कि उनके लिए वोटिंग आसान बनाना आपकी असली परीक्षा है।

प्रवासी मतदातालोकतंत्र के असली परंतु भूले हुए निर्माणकर्ता

भोजपुर के हजारों युवा दिल्ली-मुंबई की फैक्ट्रियों, दुबई-क़तर के निर्माण कार्यों, खेतों और होटलों में काम करते हैं।
वे दिन-रात मेहनत कर के बिहार के घरों में पैसा भेजते हैं। लेकिन क्या चुनाव आयोग, नेता और सरकारों ने कभी सोचा

  • NRI या प्रवासी मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट या ऑनलाइन वोटिंग की सुविधा क्यों नहीं है?
  • क्या लोकतंत्र सिर्फ उन लोगों का है जो शहर में मौजूद हैं?

उम्मीदवारों के लिए जन-जागरण और समाधान के सुझाव

यदि आप वाकई जनता के नेता बनना चाहते हैं, तो:
प्रवासी मतदाताओं की सूची बनाएं।
उनके परिवार से मिलें, उनका दर्द जानें।
आवाज उठाएं कि प्रवासी मतदाताओं को ऑनलाइन वोटिंग / पोस्टल वोटिंग की सुविधा मिले।
यदि संभव हो तो उनकी यात्रा का खर्च वहन करें या सामूहिक बस/ट्रेन की व्यवस्था करें।
चुनाव जीतने के लिए नहीं, लोकतंत्र बचाने के लिए ये कदम ज़रूरी हैं।

 नेता एवं जनता के लिए संदेश

अगर आप मतदाता हैं लेकिन प्रवास में रहकर वोट नहीं दे पाते, तो यह खबर सिर्फ पढ़कर छोड़ दें।

  • इसे ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें।
  • नेताओं तक अपनी आवाज पहुंचाएं।
  • अपने मताधिकार के लिए आवाज उठाएं, क्योंकि लोकतंत्र सिर्फ वोट देने का अधिकार नहीं, बल्कि आवाज सुनने का हक भी है।

अंतिम उद्देश्य (Disclaimer):

यह पोस्ट किसी पार्टी, व्यक्ति या उम्मीदवार के पक्ष या विरोध में नहीं है।


इसका सिर्फ और सिर्फ उद्देश्य है


जनता और उम्मीदवारों की आँखें खोलना, ताकि लोकतंत्र में हर वो आवाज शामिल हो सके जो दूर से भी अपने वतन के लिए धड़कती है।
अगर आप एक उम्मीदवार हैं, तो कृपया इसे अधिक से अधिक साझा करें।
अगर आप मतदाता हैं और बात सही लगी हो, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना ही सबसे बड़ा योगदान होगा।
khat likho abhiyan bhojpur DM

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